विधुत कानून, 2003 के प्रावधानों के अनुसार, बिजली के उत्पादन, प्रसारण और वितरण से संबंधित तकनीकी-विधिक पहलुओं में केंद्रीय और राज्य सरकारों, केंद्रीय/राज्य विद्युत विनियामक आयोग, जनरेटिंग कंपनियों, लाइसेंसधारियों को सलाह देना।
बिजली अधिनियम, 2003 के तहत सीईए विनियमन के काम से संबंधित कार्य का संचालन करना, जैसे कि निर्देश प्रकट करना, जनता से टिप्पणी आमंत्रित करने के लिए निर्देशकों की प्रकटीकरण पूर्वक प्रकटीकरण का कार्य, विद्युत/केंद्र सरकार के साथ निर्माण में परामर्श और अन्य विनियमनों की कानूनी जाँच की कार्यवाही, और अंतिम विनियमनों की सूचना/प्रकटण को भारत के राजपत्रिका में प्रकट करना/सूचित करना।
उन मामलों में उत्तरप्रदेश सरकार, विद्युत मंत्रालय, और/या केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण उत्तरदाता हैं जहाँ बिजली क्षेत्र से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट/उच्च न्यायालय/जिला न्यायालय/राष्ट्रीय हरित प्रदूषण न्यायालय में कोर्ट के मामलों की रक्षा करना
काउंटर एफिडेविट्स की फाइलिंग के लिए प्रतिज्ञानों की तैयारी करना,
सरकारी वकीलों/एएसजीजी इत्यादि को सरकारी विभाग के अधिकारियों द्वारा संक्षेप,
महत्वपूर्ण मामलों में कोर्ट की सुनवाई में शामिल होना,
मान्यता के द्वारा दिए गए निर्देशों की पालना करना।
जल विद्युत परियोजनाओं के विवरणिका पर कानूनी पहलुओं की जाँच करना ताकि प्राधिकरण की संमति प्राप्त हो सके।
मोप और सीईए संबंधित न्यायालयी मामलों की रक्षा के खिलाफ सरकारी वकीलों को भुगतान के लिए बिलों की प्रक्रिया करना।
मसूदों पर विचारणा करना/सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए विज्ञापन/नोटिस प्रकटण करना।
भारत की राजपत्रिका में नियमों की सूचना/प्रकटण करना।