के.वि.प्रा. के कार्यों एवं कर्तव्यों को विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 73 के तहत चित्रित किया गया है। इसके अतिरिक्त के.वि.प्रा. को विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 3 (राष्ट्रीय विद्युत नीति एवं योजना), धारा 8 (जल विद्युत उत्पादन), धारा 34 (ग्रिड मानक), धारा 53 (सुरक्षा एवं विद्युत आपूर्ति से संबंधित प्रावधान), धारा 55 (मीटर का उपयोग) एवं धारा 177 (विनियम बनाना) के अंतर्गत विभिन्न अन्य कार्यों का निर्वहन करना है।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण का संविधान आदि (धारा 70)
- ऐसे कृत्यों का निर्वहन करने के लिए और कर्तव्यों का अनुपालन करने के लिए जो उसे अधिनियम के अधीन सौंपे जाएं, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के नाम से एक निकाय होगा।
- विद्युत (प्रदाय) अधिनियम, 1948 की धारा 3 के अधीन स्थापित और नियम तारीख से ठीक पूर्व उस रूप में कार्य कर रहा केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण होगा और उसके अध्यक्ष, सदस्य, सचिव और अन्य अधिकारी तथा कर्मचारी इस अधिनियम के अधीन नियुक्त किए गए समझे जाएंगे और वे उन्हीं निबंधनों और शर्तों पर पद पर बने रहेंगे जिन वे विद्युत (प्रदाय) अधिनियम, 1948 के अधीन नियुक्त किए गए थे।
- प्राधिकरण में चौदह से अनधिक सदस्य (जिसके अंतर्गत उसका अध्यक्ष भी है) होंगे जिनमें से आठ से अनधिक सदस्य पूर्णकालिक सदस्य होंगे जिन्हें केंद्रीय सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा।
- केंदीय सरकार, किसी ऐसे व्यक्ति को, जो प्राधिकरण के सदस्य के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र है, प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त कर सकेगी या पूर्णकालिक सदस्यों में से किसी एक को प्राधिकारण के अध्यक्ष के रूप में पदाभिहित कर सकेगी।
- प्राधिकरण के सदस्य योग्यता, सत्यनिष्ठा और प्रतिष्ठा वाले ऐसे व्यक्तियों में से नियुक्त किए जाएंगे जो इंजीनियरी, वित्त, वाणिज्य, अर्थशास्त्र या औद्योगिक विषयों से संबंधित समस्याओं का ज्ञान और पर्याप्त अनुभव और क्षमता रखने वाले हों और कम से कम एक सदस्य निम्नलिखित प्रवर्गों में से प्रत्येक प्रवर्ग से नियुक्त किया जाएगा, अर्थात;-
- (क). उत्पादन केंद्रों के डिजाइन, निर्माण, प्रचालन और उसके अनुरक्षण में विशेषज्ञता के साथ इंजीनियरी;
- (ख). विद्युत के पारेषण और प्रदाय में विशेषज्ञता के साथ इंजीनियरी;
- (ग). विद्युत के क्षेत्र में अनुप्रयुक्त गवेषणा;
- (घ). अनुप्रयुक्त अर्थशास्त्र, लेखा, वाणिज्य या वित्त।
- प्राधिकरण के अध्यक्ष और सभी सदस्य केंद्रीय सरकार के प्रसाद पर्यन्त पद धारण करेंगे।
- अध्यक्ष, प्राधिकरण का मुख्य कार्यपालक होगा।
- प्राधिकरण का मुख्यालय दिल्ली में होगा।
- प्राधिकरण, मुख्यालय या किसी अन्य स्थान पर ऐसे समय पर, जो अध्यक्ष निदेश दे, अधिवेशन करेगा और अपने अधिवेशनों में कारबार के संव्यवहार के संबंध में (जिसके अंतर्गत इसके अधिवेशन में गणपूर्ति भी है) प्रक्रिया के ऐसे नियमों का पालन करेगा, जो वह विनिर्दिष्ट करे।
- अध्यक्ष या यदि वह प्राधिकरण के अधिवेशन में उपस्थित हाने में असमर्थ है, तो अध्यक्ष द्वारा इस निमित्त नामनिर्दिष्ट कोई अन्य सदस्य और ऐसे नामनिर्देशन के अभाव में या जहां कोई अध्यक्ष नहीं है वहां, उपस्थित सदस्यों द्वारा अपने में से चुना गया कोई सदस्य अधिवेशन की अध्यक्षता करेगा।
- ऐसे सभी प्रश्नों का, जो प्राधिकरण के किसी अधिवेशन में उसके समक्ष आते हैं उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों के बहुमत द्वारा विनिश्चय किया जाएगा और मत बराबर होने की दशा में अध्यक्ष या अध्यक्षता करने वाले सदस्य को निर्णायक मत देने का अधिकार होगा।
- प्राधिकरण के सभी आदेशों और विनिश्चयों को सचिव या अध्यक्ष द्वारा इस निमित्त सम्यक रूप से प्राधिकृत किसी अन्य अधिकारी द्वारा अधिप्रमाणित किया जाएगा।
- प्राधिकरण का कोई कार्य या कार्यवाही केवल इस आधार पर प्रश्नगत नहीं की जाएगी या अविधिमान्य नहीं होगी कि प्राधिकरण के गठन में कोई रिक्ति या त्रुटि विद्यमान है।
- प्राधिकरण का अध्यक्ष और अन्य पूर्णकालिक सदस्य ऐसा वेतन और ऐसे भत्ते प्राप्त करेंगे जो केंद्रीय सरकार द्वारा अवधारित किए जाएं और अन्य सदस्य प्राधिकरण के अधिवेशनों में उपस्थित होने के लिए ऐसे भत्ते और फीस प्राप्त करेंगे जो केंद्रीय सरकार विहित करे।
- प्राधिकरण के अध्यक्ष और सदस्यों के सेवा के अन्य निबंधन और शर्तें जिनमें उपधारा (6) के उपबंधों के अधीन रहते हुए, उनकी पदावधि भी है वह होगी जो केंद्रीय सरकार विहित करे।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के कार्य और कर्तव्य (धारा 73)
प्राधिकरण ऐसे कृत्यों और कर्तव्यों का पालन करेगा जो केंद्रीय सरकार विहित करे या निदेश दे और विशेष रूप से,-
- (क). राष्ट्रीय विद्युत नीति से संबंधित विषयों पर केंद्रीय सरकार को सलाह देना, विद्युत प्रणाली के विकास के लिए अल्पकालिक और भावी योजनाएं बनाना और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के हित साधन के लिए संसाधनों के अनुकूलतम उपयोजन के लिए योजना अभिकरणों के क्रियाकलापों को समन्वित करना तथा सभी उपभेक्ताओं को विश्वसनीय और क्षमतायोग्य विद्युत उपलब्ध कराना;
- (ख). विद्युत संयंत्रों, विद्युत लाइनों और ग्रिड से संयोजकता के सन्निर्माण के लिए तकनीकी मानक विनिर्दिष्ट करना;
- (ग). विद्युत संयंत्रों और विद्युत लाइनों के सन्निर्माण, प्रचालन और अनुरक्षण के लिए सुरक्षा अपेक्षाएं विनिर्दिष्ट करना;
- (घ). पारेषण लाइनों के प्रचालन और अनुरक्षण के लिए ग्रिड मानक विनिर्दिष्ट करना
- (ङ). विद्युत के पारेषण और प्रदाय के लिए मीटरों के संस्थापन की शर्तें विहित करना;
- (च). विद्युत प्रणाली में सुधार लाने और उसके संवर्धन के लिए स्कीमों और परियोजनाओं को समय पर पूरा किए जाने के लिए प्रोत्साहन देना उसमें सहायता करना;
- (छ). विद्युत उद्योग में लगे हुए व्यक्तियों के कौशल को बढ़ाने के उपायों को प्रोत्साहित करना;
- (ज). केंद्रीय सरकार को किसी ऐसे विषय पर सलाह देना, जिस पर उसकी सलाह मांगी गई है या किसी विषय पर उस सरकार को सिफारिश करना, यदि प्राधिकरण की राय में ऐसी सिफारिश, विद्युत के उत्पादन, पारेषण, व्यापार, वितरण और उपयोग के सुधार में सहायता प्रदान करेगी;
- (झ). विद्युत के उत्पादन, पारेषण, व्यापार, वितरण और उपयोग से संबंधित आंकड़े एकत्रित करना और अभिलिखित करना तथा लागत, दक्षता, प्रतिस्पर्धा और ऐसे ही विषयों से संबंधित अध्ययन करना;
- (ञ). इस अधिनियम के अधीन समय-समय पर जनता को सूचना उपलबध कराना और रिपोर्टों तथा अन्वेषणों के प्रकाशन की व्यवस्था करना;
- (ट). विद्युत के उत्पादन, पारेषण, वितरण और व्यापार पर प्रभाव डालने वाले विषयों पर अनुसंधान को आगे बढ़ाना;
- (ठ). विद्युत के उत्पादन या पारेषण या वितरण के प्रयोजनों के लिए कोई अन्वेषण करना या कराना;
- (ड). किसी राज्य सरकार, अनुज्ञप्तिधारियों या उत्पादन कंपनियों को ऐसे विषयों पर ऐसी सलाह देना, जो उनके स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन विद्युत प्रणाली के उन्नत रीति में प्रचालन और अनुरक्षण के और जहां आवश्यक हो, किसी ऐसी अन्य सरकार, अनुज्ञप्तिधारी या उत्पादन कंपनी के, जिसके स्वामित्व या नियंत्रण में कोई अन्य विद्युत प्रणाली है, समन्वयन को समर्थ बनाएगा;
- (ढ). विद्युत के उत्पादन, पारेषण और वितरण से संबंधित सभी तकनीकी विषयों पर समुचित सरकार और समुचित आयोग को सलाह देना; और
- (ण). ऐसे अन्य कृत्यों का निर्वहन करना, जो इस अधिनियम के अधीन उपबंधित हैं।
के.वि.प्रा. के अध्यक्ष, सदस्यों और सचिव के कार्य