धारा 70. (केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण का संविधान आदि)

  1. ऐसे कृत्यों का निर्वहन करने के लिए और कर्तव्यों का अनुपालन करने के लिए जो उसे अधिनियम के अधीन सौंपे जाएं, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के नाम से एक निकाय होगा।
  2. विद्युत (प्रदाय) अधिनियम, 1948 की धारा 3 के अधीन स्थापित और नियम तारीख से ठीक पूर्व उस रूप में कार्य कर रहा केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण होगा और उसके अध्यक्ष, सदस्य, सचिव और अन्य अधिकारी तथा कर्मचारी इस अधिनियम के अधीन नियुक्त किए गए समझे जाएंगे और वे उन्हीं निबंधनों और शर्तों पर पद पर बने रहेंगे जिन वे विद्युत (प्रदाय) अधिनियम, 1948 के अधीन नियुक्त किए गए थे।
  3. प्राधिकरण में चौदह से अनधिक सदस्य (जिसके अंतर्गत उसका अध्यक्ष भी है) होंगे जिनमें से आठ से अनधिक सदस्य पूर्णकालिक सदस्य होंगे जिन्हें केंद्रीय सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा।
  4. केंदीय सरकार, किसी ऐसे व्यक्ति को, जो प्राधिकरण के सदस्य के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र है, प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त कर सकेगी या पूर्णकालिक सदस्यों में से किसी एक को प्राधिकारण के अध्यक्ष के रूप में पदाभिहित कर सकेगी।
  5. प्राधिकरण के सदस्य योग्यता, सत्यनिष्ठा और प्रतिष्ठा वाले ऐसे व्यक्तियों में से नियुक्त किए जाएंगे जो इंजीनियरी, वित्त, वाणिज्य, अर्थशास्त्र या औद्योगिक विषयों से संबंधित समस्याओं का ज्ञान और पर्याप्त अनुभव और क्षमता रखने वाले हों और कम से कम एक सदस्य निम्नलिखित प्रवर्गों में से प्रत्येक प्रवर्ग से नियुक्त किया जाएगा, अर्थात;-
    1. (क). उत्पादन केंद्रों के डिजाइन, निर्माण, प्रचालन और उसके अनुरक्षण में विशेषज्ञता के साथ इंजीनियरी;
    2. (ख). विद्युत के पारेषण और प्रदाय में विशेषज्ञता के साथ इंजीनियरी;
    3. (ग). विद्युत के क्षेत्र में अनुप्रयुक्त गवेषणा;
    4. (घ). अनुप्रयुक्त अर्थशास्त्र, लेखा, वाणिज्य या वित्त।
  6. प्राधिकरण के अध्यक्ष और सभी सदस्य केंद्रीय सरकार के प्रसाद पर्यन्त पद धारण करेंगे।
  7. अध्यक्ष, प्राधिकरण का मुख्य कार्यपालक होगा।
  8. प्राधिकरण का मुख्यालय दिल्ली में होगा।
  9. प्राधिकरण, मुख्यालय या किसी अन्य स्थान पर ऐसे समय पर, जो अध्यक्ष निदेश दे, अधिवेशन करेगा और अपने अधिवेशनों में कारबार के संव्यवहार के संबंध में (जिसके अंतर्गत इसके अधिवेशन में गणपूर्ति भी है) प्रक्रिया के ऐसे नियमों का पालन करेगा, जो वह विनिर्दिष्ट करे।
  10. अध्यक्ष या यदि वह प्राधिकरण के अधिवेशन में उपस्थित हाने में असमर्थ है, तो अध्यक्ष द्वारा इस निमित्त नामनिर्दिष्ट कोई अन्य सदस्य और ऐसे नामनिर्देशन के अभाव में या जहां कोई अध्यक्ष नहीं है वहां, उपस्थित सदस्यों द्वारा अपने में से चुना गया कोई सदस्य अधिवेशन की अध्यक्षता करेगा।
  11. ऐसे सभी प्रश्नों का, जो प्राधिकरण के किसी अधिवेशन में उसके समक्ष आते हैं उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों के बहुमत द्वारा विनिश्चय किया जाएगा और मत बराबर होने की दशा में अध्यक्ष या अध्यक्षता करने वाले सदस्य को निर्णायक मत देने का अधिकार होगा।
  12. प्राधिकरण के सभी आदेशों और विनिश्चयों को सचिव या अध्यक्ष द्वारा इस निमित्त सम्यक रूप से प्राधिकृत किसी अन्य अधिकारी द्वारा अधिप्रमाणित किया जाएगा।
  13. प्राधिकरण का कोई कार्य या कार्यवाही केवल इस आधार पर प्रश्नगत नहीं की जाएगी या अविधिमान्य नहीं होगी कि प्राधिकरण के गठन में कोई रिक्ति या त्रुटि विद्यमान है।
  14. प्राधिकरण का अध्यक्ष और अन्य पूर्णकालिक सदस्य ऐसा वेतन और ऐसे भत्ते प्राप्त करेंगे जो केंद्रीय सरकार द्वारा अवधारित किए जाएं और अन्य सदस्य प्राधिकरण के अधिवेशनों में उपस्थित होने के लिए ऐसे भत्ते और फीस प्राप्त करेंगे जो केंद्रीय सरकार विहित करे।
  15. प्राधिकरण के अध्यक्ष और सदस्यों के सेवा के अन्य निबंधन और शर्तें जिनमें उपधारा (6) के उपबंधों के अधीन रहते हुए, उनकी पदावधि भी है वह होगी जो केंद्रीय सरकार विहित करे।